आया अंतरराष्ट्रीय योग दिवस
हर वर्ष 21 जून को भारत सहित विश्व के लगभग 191 देशों में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है। इस अवसर पर भारत सहित विश्व के सभी देशों में योग से संबंधित विशेष समारोह और शिविर लगाए जाते हैं। इतने सारे देशों द्वारा भारतीय योग अपनाये जाने तथा अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाए जाने से इस बात का पता चलता है कि आज से 5000 वर्ष से भी पहले हमारे ऋषि -मुनियों द्वारा रची गई यह विद्या कितनी हितकार है। इसी को ध्यान में रखकर भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर संयुक्त राष्ट्र ( United Nation ) ने 14 दिसंबर 2014 को सभा में प्रत्येक वर्ष 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने के प्रस्ताव को रखा। उसे लगभग 191 देशों ने समर्थन देकर पारित कर दिया । तब से हर वर्ष यह दिवस मनाया जा रहा हैं ।
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कैसे घोषित हुआ योग दिवस
21 जून 2014 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सयुंक्त राष्ट्र की जनरल असेम्बली में वैश्विक स्तर पर लोगों के स्वास्थ्य में सुधार लाने के लिए हर वर्ष 21 जून को अंतरराष्ट्रीय
योग दिवस घोषित करने का प्रस्ताव रखा था।
उनके इस प्रस्ताव का नेपाल, चीन, रूस, अमेरिका, फ्रांस समेत 177 देशों का रिकॉर्ड समर्थन मिला और यू एन द्वारा प्रस्ताव पारित कर योग दिवस की घोषणा की गई।

21 जून के चयन का अर्थ
21 जून वर्ष का सब2से बड़ा दिन होता है। इसलिए योग दिवस के लिए इसी दिन को उपयुक्त समझा गया।

कहां से आया योग
शिव पुराण के अनुसार योग के सर्जक भगवान शिव हैं। उन्होंने ही कैलाश पर्वत पर तांडव के रूप में पहला योग किया था।
बाद में उन्होंने कैलाश पर्वत पर तप करने गए सात ऋषियों को यह विधा सिखाई। योग विद्या सीखने वाले वे सभी सप्त ऋषि कहलाये।उसके बाद ऋषि -मुनियों, उनके गुरुकुलों आदि के जरिये भारत में फ़ैलती चली गई।

आधुनिक योग के जनक पतंजलि
आधुनिक योग के जनक पतंजलि माने जाते हैं। उनका जीवन कल 500 ईस्वी मानी जाती है। उन्होंने समाज में प्रचलित योग विद्या के आधार पर`पतंजलि योग सूत्र ´ नामक संस्कृत ग्रन्थ लिखी। उसमें उन्होंने योग के यम, नियम, योग की पद्धति, गुण, लाभ आदि के बारे में विस्तार से लिखा। भारत के सभी योग गुरु उसी ग्रन्थ से योग क्रिया का अनुकरण करते आ रहे हैं। इसलिए पतंजलि को आधुनिक योग का पिता कहा जाता है।
क्या है योग का महत्व
योग सबको स्वस्थ, ऊर्जावान, चिंता रहित व ख़ुश बनाए रखने वाली प्राचीन भारत की एक अनमोल देन है।
योगाभ्यास से लोगों की तन-मन, विचार -कर्म, अभाव – पूर्ति, मानव व प्रकृति के बीच सामंजस्य बिठाने की ताकत बढ़ती है। इससे ऊर्जा, ताकत व प्रसन्नता मिलती है। यह लोगों लोगों के रहन -सहन जीवन -पद्धति व नजरिये को बदल कर उन्हें पर्यावरण की हिफाजत में भी मददगार बनाता है।
भगवान बुद्ध ने अपनाया योग
ईसा पूर्व छठी शताब्दी में बिहार राज्य के बोधगया में गहन तपस्या कर ज्ञान प्राप्त करने वाले भगवान बुद्ध द्वारा स्थापित बौद्ध धर्म में योग को अपनाया गया था। उसमें योग क्रियाओं, प्रणायाम, ध्यान आदि का खासा महत्व दिया गया है। बौद्ध धर्म के जरिये योग प्राचीन काल में ही श्रीलंका, चीन, मंचूरिया, जापान, जावा, सुमात्रा, थाईलैंड आदि देशों में पंहुच चुका था।

विवेकानंद का योग संदेश
स्वामी विवेकानंद ने 1893 में अमेरिका के शिकागो के संसद में भारतीय योग के महत्व के बारे में विस्तृत जानकारियां देकर विश्व के धार्मिक प्रतिनिधियों को अचंभित कर दिया था।

भारत के प्रमुख योगगुरु
योगानंद परमहंस, महर्षि महेश योगी, आर्ट ऑफ लिविंग के प्रणेता श्री श्री रविशंकर, पद्मभूषण वीकेएस अयंगर, मुंगेर के बिहार स्थित स्कूल ऑफ योगा के संस्थापक सत्यनंद सरस्वती, बाबा रामदेव आदि प्रमुख हैं। इन्होंने देश -विदेश में योग केंद्र की शाखाएं खोल कर दुनिया में योग के महत्व का प्रचार -प्रसार किया। आर्ट ऑफ≤ लिविंग की 155 देशों में योग केंद्र संचालित हो रहे हैं।













